यह फरेब फसादों की दुनिया तुम रखो
आज मुझे आजादी से जीने दो
इमारतों की नूर के खातिर
आज अंधेर कितने मकान
पूरा सूरज तुम रखो
राख मेरे नाम कर लो
गजल शायरी है बहुत खूब
ए मेरे कवि दोस्त
खूब लिखा मोहब्बत इश्क
कभी भूखा पेट लिख लो
कभी बिका हुआ बचपन लिख लो
यह जंग जात की
यह शिकस्त लाखों की
ना मुझे ख़्वाहिश जीत की
आज मुझे हार जाने दो
©abhilipsa
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